सागर संभाग में जनभागीदारी से
प्रथम बार एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह सीड बाल का रोपण
सीड बॉल क्या है ?
बीजों को जब क्ले मिटटी की परत से १/२ इंच से लेकर १ इंच तक की गोल-गोल गोलियां से सुरक्षित कर लिया जाता है उसे सीड बॉल कहते हैं।
सीड बॉल का क्या उपयोग है ? सीड बाल का उपयोग बिना जुताई ,बिना जहरीले रसायनों और बिना गोबर के कुदरती खेती करने और मरुस्थलों को हरियाली में बदलने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
क्ले क्या है ? क्ले मिटटी है जो मिटटी के बर्तन और मूर्ती आदि को बनने में उपयोग में लाई जाती है। जो तालाब की तलहटी ,नदी ,नालों के किनारे जमा पाई जाती है। यानि तालाब की चिकनी मिट्टी (क्ले )
क्ले की क्या खूबी है ?
यह सर्वोत्तम खाद होती है। यह बहुत महीन ,चिकनी होती है। इसकी गोली बहुत कड़क मजबूत बनती है। जिसे चूहा ,चिड़िया तोड़ नहीं सकता है। इसमें बीज पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है। इस मिट्टी में असंख्य जमीन को उर्वरता और नमी प्रदान करने वाले सूख्स्म जीवाणु रहते हैं। इसके एक कण को सूख्स्म दर्शी यंत्र से देखने पर इसमें सूख्स्म जीवाणुओं आलावा निर्जीव कुछ भी नहीं रहता है।
विचार संस्था का सीड बाल लगाने का उद्देश्य –
विचार संस्था के संस्थापक कपिल मलैया ने बताया कि एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह सीड बाल का रोपण राजघाट परिधि में 23 जून 2019 को सागर शहर के दस हजार से अधिक स्वयंसेवकों के माध्यम से किया जाना है। सागर के पर्यावरण सुधार के लिए विचार संस्था सभी के सहयोग से राजघाट बांध के कैचमेंट एरिया में एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह सीड बाल का रोपण करने जा रही है। राजघाट हमारे जल का मुख्य स्त्रोत है, इसका संरक्षण हमारे लिए जरूरी है। इसके आसपास बंजर भूमि है जिसके कारण मिट्टी का क्षरण होता है एवं राजघाट का भराव क्षेत्र उथला होता जा रहा है। सीड बाल रोपण से इस बंजर भूमि पर जंगल बन जाएगा जो भूमि क्षरण रोकेगा साथ ही इतनी ज्यादा मात्रा में पेड़, जलवृष्टि (बारिश) भी बढ़ाएंगे। यह सीड बाल (बीज के लड्डू) दक्षिण वन मंडल के सहयोग से उनके द्वारा तार से संरक्षित भूमि पर रोपित किए जाएंगे। अत यह पेड़ सुरक्षित रहेंगे। सीड बाल विचार संस्था के वालंटियर द्वारा बना लिए गए हैं। शहर में संचालित बाल चेतना शिविर, ग्रीष्म कालीन शिविरों के माध्यम से बच्चों एवं बड़ों से सीड बाल बनवाई जा रही हैं ताकि लोगों में पर्यावरण की एक शाखा वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो सके। तथा घटते राजघाट के जलस्तर को बढ़ाने के लिए यह परियोजना रामबाण सिद्ध होगी।