जहां एक ओर अनेक घर-परिवारों में बुजुर्गों की उपेक्षा होती है, युवा परिजन उनसे बचने के प्रयास करते हैं, वहीं दूसरी ओर विचार संस्था के संस्थापक अध्यक्ष कपिल मलैया आज बुजुर्गों को ढूंढ़ते हुए स्व. श्री माणिकचंद दुर्गाबाई जैन डे केयर सेंटर पहुंचे। यह डे सेंटर निर्मल सोशल एजुकेशनल हेल्थ एण्ड ईकोफ्रेंडली सोसायटी सागर द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें 90 से अधिक बुर्जुग पुरूष एवं महिलाओं को सेवा प्रदान की जाती है। कपिल मलैया ने आज अनूठी प्रेरक परंपरा प्रारंभ करते हुए ना केवल डे केयर सेंटर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हुए अपनी ओर से उन्हें भोजन कराया बल्कि अपने आप को उनके सगे परिजनों जैसा बर्ताव करते हुए बुजुर्गों के साथ बैठकर पूरे परिवार सहित स्वयं भोजन भी किया। बुजुर्गों ने समाज की मुख्य धारा के लोगों को अपने साथ भोजन करते देख बेहद प्रसन्नता जाहिर की। उन्हें ऐसा लगा जैसे यहां कि सारी बुजुर्ग माताओं का स्नेह एक पल में उमड़ कर वात्सल्य भाव से भर उठा और वे भाव-विभोर होकर अपने हाथों से सभी को खाना खिलाने लगे।
विचार संस्था की मोहल्ला विकास समिति के अंतर्गत आने वाले भगवानगंज स्थित तुलसीनगर वार्ड के सहायक मंडली, एकता समिति, समन्वयक, पालक, मोहल्ला परिवार की सदस्यों ने सर्वप्रथम दस वृक्षों का रोपण किया। जिसमें मुख्य रूप से 100 वर्षीय बुजुर्ग महिला रूपमती बाई के कर कमलों से प्रथम वृक्ष का रोपण किया गया। तत्पश्चात मोहल्ला विकास समिति के अंतर्गत आने वाले भगवानगंज स्थित तुलसीनगर वार्ड के विचार सेवकों ने डे केयर में बुजुर्गों को भोजन कराया।
इस अवसर पर कपिल मलैया ने एन्जाइम (फिनाइल) को कैसे बनाया जाता है इसकी विधिवत प्रक्रिया बताते हुए कहा कि स्वच्छ मोहल्ला प्रतियोगिता, समझदारी डेवलपमेंट हेतु आवश्यक बिंदु, निशुल्क दसवीं क्लास की कोचिंग, निशुल्क कम्प्यूटर कोचिंग, विचार हथकरघा निशुल्क प्रशिक्षण केंद्र के बारे में सभी को अवगत कराया।
इस अवसर पर जबलपुर से पधारे महेंद्र कुमार सिंघई, शशि सिंघई, प्रीति मलैया, सुनीता अरिहंत, समन्वयक लक्ष्मी गुप्ता, नीतू पाठक, अनुराग विश्वकर्मा, एकता समिति के रशीद भाईजान, सुधीर जैन, शफीक भाईजान, राजेश सिंघई, जयकुमार जैन, बृजेन्द्र सिंघई, मनोज राय, आकाश जैन, साक्षी सराफ, श्रेयांश जैन, ज्योति जैन, सूरज सोनी, रजनी, खुशबू, साक्षी, अनीता, प्रीति आदि उपस्थित थे। संचालन अखिलेश समैया ने किया, आभार नितिन पटैरिया ने माना।