सागर..विचार संस्था..19.8.20.. मंगलगिरी वृक्षारोपण एवं वृक्षाबंधन की आप सभी को बधाइयां। इस उपलक्ष पर आपकी विचार संस्था ने इंदौर से बुलाकर 300 फूल के पेड़ और लगा दिए हैं।
वृक्षों से ही मानव जाति का अस्तित्व है। पृथ्वी का संतुलन वृक्षों की वजह से है। आधुनिकता के दौर में मनुष्यों ने प्रकृति से लगातार छेड़छाड़ की है जिसकी बजह से हमारी भावी पीढ़ी और मानव सभ्यता पर खतरा मंडराने लगा है। पेड़ों की सुरक्षा की बजाय उन्हें लगातार काटा गया है जिसकी बजह से बातावरण में कार्बनडाईआक्साइड, मीथेन जैसी जहरीली गैसों से वातावरण प्रदूषित हुआ है। दूषित वातावरण के चलते ही मनुष्य कई बीमारियों से ग्रषित हुआ है. असमय वर्षा, बाढ़, सूखा भी प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है। पेड़ पौधे जीवनभर हमे कुछ न कुछ देते रहते हैं. प्रकृति का संतुलन बनाएं रखने में वृक्षों का अहम योगदान है। भावी पीढ़ी को सुरक्षित बनाये रखने के लिए हमे लगातार वृक्षारोपण करना होगा. इन्ही उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विचार संस्था ने सागर की सभी समाजिक संस्थाओं के सहयोग से मंगलगिरी में 5 हजार बृक्षों को रोपित किया है. संस्था ने वृक्षारोपण के लिए सागर जिले के सभी नागरिकों का आह्वान किया था जिसमें 5 हजार परिवारों के सदस्यों ने अपनी सहभागिता रखी थी. ठीक उसी दिन पहली वर्षगाँठ पर फिर 2 हजार पेड़ो को लगाया गया. वृक्षा बंधन किया गया. आज मंगलगिरी के बृक्षारोपण की दूसरी वर्षगांठ पर संस्था द्वारा इंदौर से 4 से 5 फुट लंबे 300 फूलों के पेड़ बुलाये गए हैं. मंगलगिरी में 55 किस्म से ज्यादा जिसमे, पीपल, हर ,बहेरा, बरगद, पारस पीपल , बकौली, कैेथा, बेल ,आम, अमरूद, अनार ,नींबू ,करौंदा ,जामुन, सीताफल ,मुनगा, कटहल, बॉटल ब्रश , साहवनी, सतावर, सप्तपर्णी ,अशोक, नीम, महानीम, अचार, बांस, बादाम, सिरस, कंजी , उमर, गुलाब ,गुलमोहर, चमेली, रातरानी ,चंपा, बोगनवेलिया ,शमी, यूकेलिप्टस, सैमर , अर्जुन, कदम, तेंदू , छेवला , गुरार, सिरस , इमली मंगा, भीलमां ,खैर, पारिजात, हरसिंगार, चिरौल, पलाश, इमली, आदि बृक्षों में औषधीय, पर्यावरण सुधा, फूलों, और फलों जैसे ऐसें बृक्ष भी लगाये गए हैं जो सामान्यतः और कहीं दिखाई नही देते हैं. इस प्रोजेक्ट में 1 हजार से ज्यादा ऐसें पेड़ों को रिप्लेश किया गया है जो किन्ही कारणों से सर्वाइज नही कर पाए थे. संस्था द्वारा इस प्रोजेक्ट की देखरेख में बृक्षों के रखरखाव, पानी और अन्य व्यवस्थाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है जिसके फलस्वरूप मंगलगिरी में 7 हजार बृक्ष लहलहा रहे हैं। सभी जिम्मेदार नागरिकों को इस पहल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद