शिक्षा और रोजगार – एक अनवरत प्रयास

मैं जब छोटी थी तब सोचा करती थी कि सागर की शिक्षा और बड़े शहरों या विदेश के अध्ययन में अंतर होता होगा। तब मन में यही ख्याल बना रहता था। क्या दूसरी जगह की पढ़ाई मेरे यहां से बेहतर है ? इसे मेरी जिज्ञासा ही कहिए, मैंने 7 स्कूल बदले। डेनमार्क, अमेरिका एवं सिंगापुर जाकर भी शिक्षा ग्रहण की। हर जगह किताबी ज्ञान तो एकसा है, यदि कुछ बदला है तो वो व्यावहारिक ज्ञान, जीवन कौशल का ज्ञान एवं विभिन्न कैरियर क्षेत्रों में आगे बढऩे का नजरिया मैंने अलग पाया है। मेरा सामाजिक कार्यों से जुड़ने का लगाव शुरू से ही रहा है। मुझे यह विरासत में मिला है। मैंने सागर के बच्चों को शिक्षा से रोजगार तक पहुंचाने की शुरुआत 2016 से की। एम्मानुएल हायर सेकेंडरी स्कूल (हिंदी माध्यम) के प्राचार्य श्री आनंद गुप्ता जी एवं उप-प्राचार्य श्रीमती वंदना जूड़ा जी के सहयोग से स्कूल में ‘अनावरण’ नामक परियोजना की शुरुआत की। इसके लिए मैंने 17 युवाओं को जो उस दौरान शिक्षा ग्रहण करते हुए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे थे, उन्हें इस मुहिम से जोड़ा। हम सबने मिलकर पूरे वर्ष हफ्ते का एक दिन चुनकर एम्मानुएल स्कूल जाकर छात्रों को दो-दो घंटों के सेशन के माध्यम से विभिन्न कैरियर क्षेत्रों के बारे में व्यवहारिक ज्ञान देना शुरू किया। यह मुहिम कारगर रही और एम्मानुएल प्रबंधन ने इसके लिए हम सबकी सराहना की। मैं इस मुहिम से जुड़कर बेहद खुश हुई। इस क्षेत्र से जुड़ते हुए मैंने विचार संस्था के माध्यम से सिलसिलेवार आत्मनिर्भर बनाने हेतु नि:शुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण देना शुरू किया । समर कैंप लगाए जिसमें चित्रकला, हस्तकला सिखाने के साथ स्वास्थ्य चेकअप कराए गए। नवचेतना, बालचेतना, योग के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा में एकाग्रता बनी रहने के लिए बच्चों को प्रशिक्षित किया। जनता हाई स्कूल के सहयोग से बच्चियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया गया। बच्चों को कैरियर गाइडलाइंस देने के लिए 4 स्कूलों जिसमें एम्मानुएल स्कूल, मकरोनिया शासकीय हाई स्कूल, काकागंज शासकीय हाई स्कूल, सुभाषनगर पगारा रोड स्थित हाई स्कूल में बच्चों के भविष्य और कैरियर बनाने के टिप्स सिखाये गए। जरूरतमंद छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हेतु आवश्यक स्टेशनरी उपलब्ध कराई गई। अनुभवी शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क कोचिंग दी गई है। विद्यादान-महादान की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पुस्तकालय बनाया गया जिसमें उपयोग की पुस्तकें ले जाते हैं और जिसके उपयोग की नहीं रह जाती हैं उन्हें रख जाते हैं। बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र खोला गया जिसमें प्रशिक्षण लेकर रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। महिला आत्मरक्षा नि:शुल्क शिविर के अंतर्गत जनता कन्या शाला परकोटा में महिलाओं को नि:शुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया गया। रोजगार के उद्देश्य से महिलाओं को सिलाई-कड़ाई का प्रशिक्षण दिया गया। कूडो-कराटे का नि:शुल्क प्रशिक्षण के द्वारा महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाये गए। बच्चों तक व्यावहारिक ज्ञान एवं जीवन कौशल का ज्ञान पहुंचाने का एक बड़ा अवसर मुझे कोरोना काल के दौरान मिला। इस दौरान मैंने ISRN संस्था की प्रेरणा से सागर में ‘अंत्योदय शिक्षा प्रेरक’ अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के अंतर्गत 35 लोगों ने 3 माह के लिए 6-12 वर्ष के जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क पढाऩे का संकल्प लिया। इन प्रेरकों द्वारा बच्चों को रोचक तरीकों से मौलिक ज्ञान की बातें सिखाने का प्रयास किया जा रहा है। जैसे खेल के माध्यम से बच्चों को सम-विषम नंबर सिखाया जा रहा है तो बैठने के तरीके से बढ़ता और घटता क्रम सिखाया जाता है। ‘learn by doing’ के तरीके का प्रयोग किया जा रहा है जैसे सेव खाते- खाते बच्चे को सेव के फायदे बताना, खुद बच्चों से पेड़ का बीज लगवाना और समय-समय पर पौधे के बड़े होने की प्रक्रिया समझाना, पौधे के अंग बताना। घरेलु सामान से ही बच्चों को विज्ञान के ढेरों प्रेक्टिकल एक्सपेरिमेंट करवाए जा रहे हैं । बच्चे चीज़ों को देख-देखकर जल्दी सीख पाएं इसके लिए उन्हें अल्फाबेट्स, फल, सब्जी, शरीर के अंग, गुड मैनर्स आदि के चार्ट्स के प्रयोग से सिखाया जा रहा है। इस अभियान से न केवल बच्चे उस ज्ञान को जिंदगी भर अपने जहन में रखेंगे, बल्कि आगे पढ़ाई करने के लिए भी प्रेरित हो सकेंगे। ईश्वर का बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने मुझे बहुत सी योजनाओं पर कार्य कर उन्हें सफल बनाने का महत्वपूर्ण मौका दिया है। शिक्षा का क्षेत्र मुझे सदा से ही प्रिय रहा है जहां मेरे द्वारा इसमे सुधार करने के प्रयास ऐसे ही अनवरत जारी रहेगा।

आकांक्षा मलैया

सचिव विचार संस्था, सागर

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