सागर…विचार समिति…26.6.21
विचार समिति ने बनाया मियावाकी वन मंगलगिरी में किया 1500 पेड़ों का सघन वृक्षारोपण विचार समिति ने मंगलगिरी में सागर का दूसरा मियावाकी वन बनाया। इसमें 3000 वर्गफीट जगह में 1500 वृक्ष लगाये गए। मियावाकी पद्धति एक जापानी वैज्ञानिक द्वारा सुझाई पद्धति है जिसमें एक से दो फीट की दूरी पर पेड़ लगाये जाते हैं। इसमें विभिन्न स्थानीय प्रजातियां लगाई जाती हैं। पौधे पास-पास लगने से मौसम की मार का असर नहीं पड़ता। गर्मी के दिनों में भी पेड़ के पत्ते हरे बने रहते हैं।मंगलगिरी मियावाकी में जमीन को 3 से 4 फीट खोदकर उसमें सागर तालाब की मिट्टी डाली गई है साथ ही जैविक खाद व 12 ट्राली गोबर खाद डाला गया है। इसके ऊपर धान की भूसी डाली गई है। 30 किस्म के स्थानीय पेड़ लगाये गए हैं।पेड़ इस प्रकार के हैं जिसमें कुछ 7 से 12 फीट ऊंचे, कुछ 10 से 20 फीट ऊंचे व बाकी 20 फीट से ऊंचे जाने वाले रखे गए हैं। नये प्रयोग के तौर पर एक हाईट मीटर लगाया गया है जिससे प्रत्येक सप्ताह पेड़ों की बढ़ोत्तरी नापी जाएगी। मियावाकी वन में 10 गुना तेज वृद्धि होती है। अत: प्रयास है कि पेड़ एक वर्ष में 15 फीट से ऊंचे हो जायें।यह मियावाकी वन श्री राजेश मलैया डॉ. शैफाली मलैया ने अपनी माताजी . श्रीमति आशारानी मलैया जी की स्मृति में समर्पित किया है जिसका संपूर्ण खर्चा वह वहन कर रहे हैं। स्व. श्रीमति आशारानी मलैया जी ने अपने जीवनकाल में लाखों वृक्ष लगवाये व अनगिनत लोगों को वृक्षारोपण, बागवानी की प्रेरणा दी।विचार समिति अध्यक्ष कपिल मलैया का कहना है कि हम चाहते हैं शहर में इस तरह के 100 से अधिक स्मृति वन बनें जिससे बुजुर्गों की याद बनी रहेगी व पर्यावरण हराभरा होगा। मंगलगिरी स्याद्वाद ट्रस्ट का हमें हमेशा सहयोग मिलता है जिससे आज इस क्षेत्र में 9000 के लगभग पेड़ हो गए हैं।कार्यकारी अध्यक्ष सुनीता अरिहंत ने बताया इस तरह का वन कोई भी सागरवासी 500 वर्गफीट से ज्यादा किसी भी जगह पर लगा सकता है। इच्छुक व्यक्ति की विचार समिति पूर्ण मदद करेगी।ज्ञातव्य हो सागर का प्रथम मियावाकी लगभग एक वर्ष पूर्व नवीन कलेक्टर कार्यालय में बनाया गया था। वृक्षारोपण में स्मार्ट सिटी सीईओ राहुल सिंह जी, श्री राजकुमार मलैया एवं मलैया परिवार के सदस्य व शुभचिंतक, मंगलगिरी के पदाधिकारी प्रदीप जी जैन, जिनेन्द्र जी आदि, विचार के सदस्य व पदाधिकारी, जैन मिलन महावीर शाखा, जैन मिलन प्रांतीय अध्यक्ष कमलेंद्र जी आदि पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे।
मियावाकी पद्धति की विशेषताएं
1. 10 गुना तेज वृद्धि
2. 30 गुना घना
3. 100 गुना अधिक जैव विविध
4. 100 प्रतिशत जैविक
5. 30 पेड़/100 वर्गफुट
6. 25-50 प्रजाति वैरायटी
7. केवल स्थानीय किस्म के पेड़ों का इस्तेमाल
8. 3 साल बाद कोई मेटेनेंस नहीं
9. कीट और रोगों से खुद का बचाओ करने में सक्षम