मैं एक ‘विचार‘ जो कि कपिल मलैया के मस्तिष्क में उपजी थी तब लगा कि मैं कहीं पानी का बुलबुला तो नहीं, कुछ समय बाद लगा कि जिज्ञासा व प्रयोग की बूंद हूं, या सेवा की एक लहर अब तो लगता है कि शायद पूरा सागर…………
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